Om Jai Jagdish Hare| Full | ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti with PDF in Hindi
Update: 2022-03-28
Description
ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF in Hindi
ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti in Hindi
ॐ जय जगदीश हरे एक हिंदू धार्मिक गीत है। यह सर्वोच्च भगवान विष्णु को समर्पित है और ज्यादातर विष्णु मंदिरों में गाया जाता है। यद्यपि धार्मिक भजन एक हिंदी भाषा की रचना है, यह हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से गाया जाता है। हिंदू पूजा का एक रूप, आरती के समय पूरी मण्डली द्वारा प्रार्थना गाई जाती है।
यह जयदेव के गीता गोविंदा के दशावतार खंड से प्रेरित हो सकता है, जो 12वीं शताब्दी की एक गीतात्मक रचना है, जिसमें एक ही भाव है।
ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
श्री जगदीशजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti in Hindi
ॐ जय जगदीश हरे एक हिंदू धार्मिक गीत है। यह सर्वोच्च भगवान विष्णु को समर्पित है और ज्यादातर विष्णु मंदिरों में गाया जाता है। यद्यपि धार्मिक भजन एक हिंदी भाषा की रचना है, यह हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से गाया जाता है। हिंदू पूजा का एक रूप, आरती के समय पूरी मण्डली द्वारा प्रार्थना गाई जाती है।
यह जयदेव के गीता गोविंदा के दशावतार खंड से प्रेरित हो सकता है, जो 12वीं शताब्दी की एक गीतात्मक रचना है, जिसमें एक ही भाव है।
ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
श्री जगदीशजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
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